क्यों मनाया जाता है प्यार और प्रेमियों का दिन वेलेंटाइन
आज प्यार करने वाले इजहार भी करते हैं और कई तरह की सुनहरी यादें बना लेते हैं, जानें क्या है इतिहास
वैलेंटाइन वीक यानी प्यार करने वालों के लिए पूरी तरह एक समर्पित सप्ताह। इस हफ्ते को प्यार करने वाले उत्सव की तरह मनाते हैं। युगल अपने साथी को खास महसूस कराते हैं और उनके साथ वक्त गुजारते हैं। अपने प्यार का इजहार भी लोग इसी सप्ताह में करना पसंद करते है और एक प्रेम का वातावरण भी इस माहौल को और हवा देता है। वैलेंटाइन का यह दिन ज्यादातर ईसाई देशों में मनाया जाता है। लेकिन, ग्लोबलाइजेशन के कारण इसका गहरा प्रभाव भारत जैसे देशों में भी देखने को मिलता है। इस दिन प्रेमी जोड़े एक-दूसरे से अपने प्यार का इजहार करते हैं। वैलेंटाइंस को लेकर प्यार की कई कहानियां हैं। लेकिन सबसे प्रचलित कहानी है राजा कॉलीडियस और पादरी वेलेंटाइन की। आइए जानते है वेलेंटाइन दिवस मनाने के पीछे के सबसे दिलचस्प कहानी।
ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नाम की पुस्तक के मुताबिक रोम के एक पादरी थे संत वैलेंटाइन (saint Valentine)। वे संसार में प्यार को बढ़ावा देने में विश्वास रखते थे। प्रेम ही उनके लिए जीवन था। लेकिन प्यार करने वालों को लोगों के आंखों का कांटा बनते कहां देर लगती है, ऐसा ही कुछ यहां भी हुआ। इसी शहर के एक राजा क्लॉडियस को उनकी ये बात पसंद नहीं थी। राजा को लगता था कि प्रेम और विवाह से पुरुषों की बुद्धि और शक्ति दोनों ही खत्म होती हैं। इसी वजह से उसके राज्य में सैनिक और अधिकारी शादी नहीं कर सकते थे।
राजा ने कई बार सेंट वेलेंटाइन को समझाने और फिर रोकने की कोशिश की लेकीन संत माने नहीं और उन्होने राजा क्लॉडियस के इस आदेश का विरोध किया और रोम के लोगों को प्यार और विवाह के लिए प्रेरित किया। इतना ही नहीं, उन्होंने कई अधिकारियों और सैनिकों की शादियां भी कराई। इस बात से राजा भड़का और उसने संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी 269 में फांसी पर चढ़वा दिया। उस दिन से हर साल इसी दिन को ‘प्यार के दिन’ के तौर पर मनाया जाता है। कहा जाता है कि संत वैलेंटाइन ने अपनी मौत के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को अपनी आंखे दान कीं। सैंट ने जेकोबस को एक पत्र भी लिखा, जिसके आखिर में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वैलेंटाइन’। यह थी प्यार के लिए बलिदान होने वाले वैलेंटाइन की कहानी।
आदित्य मिश्रा