तेलंगाना कोर्ट का न्यूज पोर्टल “द वायर” को 14 लेख डिलीट करने के आदेश

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के खिलाफ गलत तथ्यों पर आधारित लेख लिखने के मामले में बीते दिनों कंपनी ने द वायर के खिलाफ़ 100 करोड़ के मानहानि का केस किया था। द वायर पर पहले भी लग चुके है झूठी खबरें आरोप, कई बार मांगनी पड़ी है माफ़ी

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तेलंगाना की रंगा रेड्डी जिला अदालत ने 100 करोड़ के मानहानि मुकदमे की सुनवाई करते हुए समाचार पोर्टल द वायर को कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के खिलाफ अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित चौदह लेखों को हटाने का निर्देश दिया है। साथ ही न्यूज पोर्टल को भारत बायोटेक के खिलाफ तथ्यहीन लेख नही लिखने की हिदायत भी दी है।

न्यायालय में भारत बायोटेक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील के. विवेक रेड्डी ने अपनी दलील में कहा कि द वायर (द वायर) ने ऐसे लेख प्रकाशित किए थे जिनमें भारत बायोटेक और कोवैक्सिन के खिलाफ कंपनी की प्रतिष्ठा को कमजोर करने के इरादे से झूठे आरोप भरे पड़े थे।

श्री रेड्डी ने कोर्ट को बताया कि भारत बायोटेक ने पहले तपेदिक टीबी (TB), जीका रोटावायरस (ZICA Rotavirus), चिकनगुनिया और टाइफाइड के लिए टीके विकसित किए थे और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की थी और अब कोरोना की वैक्सीन विकसित करने के लिए भारत सरकार के प्रमुख संस्थानों के साथ सहयोग किया है।

उन्होंने कहा कि द वायर ने उचित तथ्य-जांच किए बिना वैक्सीन प्राधिकरण और अनुमोदन पर झूठे आरोप (false Alligation) लगाते हुए कई लेख प्रकाशित किए।

दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद भी, द वायर पर लेख प्रकाशित होते रहे और लगातर इस कम्पनी को बदनाम कर लोगों में दहसत फैलाने की कोशिश की जाती रही।

कोर्ट ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि भारत बायोटेक एकमात्र उम्मीदवार है जिसे 15 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन बनाने के लिए अधिकृत किया गया है और वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले मानहानिकारक लेखों से वैक्सीन लेने वाले लोगों में डर और हिचकिचाहट होगी।

इसलिए, इसने 48 घंटों के भीतर वेबसाइट से मानहानिकारक लेखों को हटाने का निर्देश दिया और द वायर को भारत बायोटेक और उसके उत्पाद COVAXIN के बारे में कोई भी मानहानिकारक लेख प्रकाशित करने से भी रोक दिया।

बता दें कि न्यूज़ पोर्टल “द वायर” के प्रकाशक, फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म, इसके संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ रोशनलाल भाटिया और एमके वेणु और भारत बायोटेक और कोवैक्सिन के खिलाफ लेख लिखने वाले नौ अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था। पोर्टल के खिलाफ नागरिकता संशोधन कानून के पारित होने और किसान आन्दोलन, दिल्ली दंगों के दौरान लागातार भ्रामक लेख लिखने के आरोप लगते रहे हैं।

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