लालू फिर से अंदर, 60 लाख जुर्माना भी

देश के चर्चित चारा घोटाले में 139 करोड़ रुपयों की अवैध निकासी के मामले में राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेट 38 लोगों को रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने 5 साल कैद की सजा सहित 60 लाख रुपए का अर्थदंड भी सुनाया है।

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ADITYA MISHRA:

बिहार के सबसे बडे़ और देश के सबसे चर्चित “चारा घोटाले” में
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल(RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने इस घोटाले के पाँचवें और अंतिम मामले में पाँच साल क़ैद साहित 60 लाख अर्थदंड की सजा सुनाई है।

15 फ़रवरी को सिद्ध हुए थे दोषी

इसके पहले भी इसी घोटाले के मामले में साल 2017 में सज़ा मिलने के बाद लालू यादव कुल आठ महीने जेल और 31 महीने हॉस्पिटल में रह कर पीछले साल अप्रैल में बेल पर बाहर आए थे। इसके बाद उन्हे फिर से एआईआईएमएस दिल्ली में भर्ती कराया गया था।

कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद लालू प्रसाद यादव के वकील प्रभात कुमार ने कहा कि कोर्ट में लालू यादव के स्वास्थ्य और बीमारी को देखते हुए कम से कम सजा देने की अपील की गई थी।

क्या था मामला

बता दें कि 90 के दशक के सबसे चर्चित लगभग 900 करोड़ रुपयों के पशुपालन घोटाले में सीबीआई ने तब कुल 66 मामले दर्ज किए थे। इनमें से छह मामलों में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को भी अभियुक्त बनाया गया था। बिहार विभाजन के बाद इनमें से पाँच मामले झारखंड में ट्रांसफ़र कर दिए गए थे।
इन पाँच मामलों में से चार में लालू यादव पहले ही दोषी क़रार दिए जा चुके हैं। हालाँकि, इन मामलों में उन्हें ज़मानत मिल गई थी। RC 47-A/96 पाँचवा और अंतिम मामला था। इसमें साल 1990-91 और 1995-96 के बीच फ़र्ज़ी बिल्स पर अवैध निकासी के आरोप हैं।
पैसों की निकासी के लिहाज से भी यह सबसे बड़ी निकासी का मामला है। इसमें लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून-1998 की धाराओं 13(2) RW 13(1) (C), (D) के अंतर्गत आरोप तय किए गए थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया। कई विधायकों और सांसदों ने क्रमशः विधान परिषद और लोकसभा में यह मामला उठाते हुए कहा था कि पशुपालन विभाग में गड़बड़ियाँ की जा रही हैं और फ़र्ज़ी बिल्स के ज़रिए अवैध निकासी करायी जा रही है।

साल 1996 में घोटाले के पर्दाफ़ाश के बाद तत्कालीन बिहार के डोरंडा थाना में 17 फ़रवरी को इसकी एफ़आइआर (नंबर 60/96) दर्ज कराई गई थी। इनमें से 55 अभियुक्तों की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई। आठ दूसरे अभियुक्त CRPC 1973 (दंड प्रक्रिया संहिता 1973) के प्रावधानों के मुताबिक़ सरकारी गवाह (Aprover) बन गए। दो अभियुक्तों ने पहले ही दोष स्वीकार कर लिया था।

एक निजी चैनल से बात करते हुए लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने कहा कि था ”लालू यादव 30 अगस्त, 2018 को रांची के राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी रिम्स में शिफ़्ट किए गए थे और 13 फ़रवरी 2021 तक रहे थे। बाद में उन्हें दिल्ली स्थित एम्स शिफ़्ट कर दिया गया था।”

सजा के ऐलान से पहले कोर्ट पहुंचे थे कई नेता

सजा के ऐलान से पहले आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव भोला प्रसाद यादव और आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी पहुंचे। अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा- ‘हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। लालू यादव की तबीयत सच में अच्छी नहीं है। माननीय न्यायाधीश को यह विवेकाधिकार है कि वो उसको रिलैक्स कर सकते हैं।’

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