जो भारत को जानते तक नहीं उन्होंने लिखा इतिहास: मीनाक्षी लेखी
भारत का इतिहास लिखना काफी आसन था, क्योंकि प्रत्यक्षदर्शी जीवित थे, लेकिन इतिहास को ऐसा तोड़मरोड़ कर लिखा गया की इसे पढ़कर हम soul less हो गए हैं।
ADITYA MISHRA:
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व धरोहर दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में इतिहास से जुड़े कई नए-पूराने और महत्वपूर्ण तथ्य रखे गए।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रिय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, भारतीए एसिहास को उन लोगों ने लिखा है जो ना भारत को जानते थे ना संस्कृत को। मंत्री ने कहा, जिन देशों में महिलाओं को एक व्यक्ति के तौर पर भी पहचान नहीं थी उन लोगों ने भारत के महिलाओं के बारे में कई आश्चर्यचकित करने वाली बातें लिखी हैं। सुश्री लेखी ने कहा, जिस समय हमारे यहां हमारे यहां महिलाएं घुड़सवारी करती थीं, हाथियों की महावत भी महिलाए थी उस समय दुनिया के किसी भी देश में महिलाएं अपने हक को भी नहीं समझ पा सकी थीं।

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश सरकार की पर्यटन और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा, आजादी के बाद देश के लोगों सही इतिहास के प्रति उदासीन और चेतना विहीन बनाने का हर संभव प्रयास किया गया। उन्होने कहा, भारत को पुनः अखंड बनाने के लिए सभी भारतीयों को सही इतिहास की जानकारी और अपने गौरव का ज्ञान होना जरुरी है। मंत्री ने कहा पुरे विश्व को सनातन जीवन पद्धति भी अपनानी चाहिए।
इस मौके पर प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे० नंदकुमार ने कहा कि,भारत के इतिहास को कभी भी भारत के सही स्वरूप के हिसाब से नहीं लिखा गया। उन्होने कहा, हमे पढ़ाया गया है कि आजादी की लड़ाई की शुरुआत एक पार्टी के गठन के साथ शुरू हुआ, लेकिन सच्चाई यह है की पुर्तगालों के आने के साथ ही हमने लड़ाई शुरु कर दी थी, हमारी लड़ाई 450 साल पुरानी थी। उन्होने कहा, हमारे देश को अहिंसा से आज़ादी मिली ऐसा बोलकर हम बलिदानियों का अपमान करते हैं। उन्होंने आगे कहा, सही इतिहास लिखना आसान था, लेकिन उसमे फेरबदल कर के लिखा गया। इस इतिहास को पढ़ कर हम आत्महीन (soulless) हो गए हैं।
इस कार्यक्रम में राममंदिर निर्माण में सबसे बडे़ आर्केलॉजिकल शोधकर्ता और पद्मश्री के के मोहम्मद और लोक इतिहासकार पद्मश्री कपिल तिवारी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से सुरेश मिश्रा फाउंडेशन और पुरातत्व, अभिलेखागार, और स्वराज संस्थान के द्वारा रविन्द्र भवन सभागार में किया गया था।