आने वाला है 2022 का पहला सूर्यग्रहण, कहां कहां दिखेगा असर

यह सूर्यग्रहण 1 मई 2022 की मध्य रात्रि 12 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा और प्रातः 04 बजकर 07 मिनट पर ख़त्म हो जाएगा।

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इस साल का पहला सूर्यग्रहण रविवार को लगने जा रहा है। यह दुनिया के कई देशों में देखने को भी मिलगा। लेकिन भारत में मध्य रात होने के कारण हम इसे देखने से वंचित रह जाएंगे।

कब लगेगा ग्रहण

यह सूर्यग्रहण 1 मई 2022 की मध्य रात्रि 12 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा और प्रातः 04 बजकर 07 मिनट पर ख़त्म हो जाएगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार यह ग्रहण अर्जेंटीना, उरुग्वे, पश्चिमी पराग्वे, दक्षिण-पश्चिमी बोलीविया, चिली, दक्षिण-पूर्वी पेरू और दक्षिण-पश्चिमी ब्राज़ील में दिखाई देगा।

कैसे लगता है सूर्यग्रहण ?

जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तब सूर्य का एक बड़ा हिस्सा पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है तब सूर्य ग्रहण होता है। चंद्रमा की परछाई धरती पर पड़ती है और सूर्य का कुछ हिस्सा या पूरा सूर्य ढक जाता है। वहीं पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य को एक सिद्ध (सीधी रेखा) में आ जाते हैं।

भारत में क्या है सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की कथा

भारत में सूर्य ग्रहण के पीछे एक बड़ी ही प्रचलित पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार देव और असुर जब समुद्र मंथन करके अमृत और विष निकाल कर लाए थे तब देव और असुरों में अमृत को लेकर विवाद छिड़ गया। फिर भगवान शंकर ने सारा विष पी कर विवाद समाप्त कर दिया। इसके बाद अमृत को पीने के लिए देवता और असुर अलग-अलग पंक्ति बैठ गए। देवताओं की पंक्ति में छल से एक राक्षस आकर देव का रूप धारण करके बैठ गया
और भगवान विष्णु बारी बारी से सबको अमृतपान कराने लगे।

तभी चंद्र देव ने उसे पहचान लिया और फिर भगवान सूर्य ने उसके सर धड़ से अलग कर दिए। लेकिन वह राक्षस मरा नहीं उसके सर और धड़ राहु और केतु बन गए जो अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और सूर्य को ग्रहित करने की कोशिश करते हैं। जिसे सूर्यग्रहण कहा जाता है।

इस दिन भारत के लोग क्या करते हैं?

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दिन चुकी सनातनी हिंदू लोगों के आराध्य देव सूर्य और चंद्रमा के जीवन पर संकट आता है। उनके जीवन पर ग्रहण लगता है। इसलिए ग्रहण के 8 घंटे पहले से लोग कई शुभ कार्यों को करने से परहेज करते हैं। साथ ही ग्रहण के दौरान ईश्वर की उपासना करते हैं। इस दौरान लोग अन्न-जल को ग्रहण भी नहीं करते हैं। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद लोग स्नान करते हैं, फिर अपने शक्ति के अनुसार मंदिरों, भिक्षुकों और डोम को दान करते हैं।

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