प्रतिबंधों से रूसी मुद्रा 30 फीसदी गिरा, लोग सड़कों पर
केंद्रीय बैंक पर यूरोपीय प्रतिबंधों के कारण रूस फिलहाल क़रीब 630 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार इस्तेमाल नहीं कर पाएगा और इसका सीधा असर उसकी रुबल पर पडे़गा
Aditya Mishra यूक्रेन पर आक्रमण और अड़ियल रवैए से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई कड़े प्रतिबन्ध लगाए है जिनका असर अब रुसी अर्थव्यवस्था पर साफ दिखने लगा है।
बीते 3 दिनों में ही अमेरिकी मुद्रा डॉलर (Dollar) की तुलना में रूस की मुद्रा रूबल (Ruble) में क़रीब 30 फ़ीसदी की गिरावट आई है। इसके साथ ही यूरो में भी एक फ़ीसदी की गिरावट आई है और तेल की कीमतों में भी तेजी देखी जा रही है।
इस ख़बर से रूस के नागरिकों में आर्थिक संकटों का भय है। यह इसलिए कि यूरोप के देशों में रूस के स्वामित्व वाले बैंक अब काम नहीं कर पा रहें हैं। केंद्रीय बैंक पर इन प्रतिबंधों के कारण रूस फिलहाल क़रीब 630 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार इस्तेमाल नहीं कर पाएगा और इसका सीधा असर उसकी रुबल पर पडे़गा। रूस की मुद्रा रूबल कमज़ोर होने के कारण महंगाई भी तेज़ी से बढ़ेगी।
इसलिए लोगों के डर लाज़िमी है क्योंकि स्थिती में जल्द ही कोई सुधार नहीं होता है तो बैंक कार्ड काम करना बंद कर देंगे या फिर कैश निकासी की सीमा तय कर दी जाएगी।
ऐसे में केंद्रीय बैंक के पास बहुत कम विकल्प होंगे। इनमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी और देश से बाहर मुद्रा ले जाने को सीमित करना शामिल है। परिणामस्वरूप रूस में लोगों की बैंकों के बाहर लंबी लाइनें लग रही हैं।
फिलहाल रूस के खिलाफ दुनियां भर के 80 से अधिक देश सक्रिय हैं। इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से फ़ोन पर हुई बातचीत में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि अगला 24 घंटा यूक्रेन के लिए काफ़ी अहम है।