दोहरी मार: चिलचिलाती धूप और गहराता बिजली संकट

आपूर्ति, ऊर्जा बकाया सहित कई बड़े कारण हैं इस बिजली संकट के

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ADITYA MISHRA: भीषण गर्मी और लू के बीच देश भर में जहां बचाव के लिए ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी किए जा रहें हैं वहीं दूसरी तरफ बिजली की कमी का संकट गहराता जा रहा है। देश का एक बड़ा हिस्सा बिजली कटौती का सामना कर रहा है। इस कमी ने संकट को और घातक बना दिया है। इस संकट की सबसे बड़ी वजह देश भर में कोयले की भारी कमी है जिसकी आपूर्ति फिलहाल ज़रूरत से कम है।

उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, आंध्रप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु सहित देश के 16 राज्यों में इस कमी का सीधा असर 2 से 8 घंटे तक बिजली कटौती के रूप में देखने को मिल रहा है।

इस रिपोर्ट के माध्यम से आइए जानते हैं क्या है इस भीषण गर्मी में बिजली संकट की वजह।

1. सप्लाई/आपूर्ति पक्ष का प्रभावित होना

देश भर में कोयले की मांग और आपूर्ति (Demand and Supply) चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है। भारत में बिजली का 70 फीसदी उत्पादन कोयले से हो रहा है। लेकिन कोल इंडिया के आंकड़ों के अनुसार अलग अलग जगहों पर आपूर्ति में 20 से 33 प्रतिशत तक की कमी है।

2. गरम मौसम भी है बड़ा कारण?

बरसात और मॉनसून के दिनों में कोयले की कमी होना सामान्य होता है लेकिन भीषण गर्मी से खद्दानों से कोयला निकालना मुश्किल हो गया है।

3. ट्रांसपोर्टेशन का प्रभावित होना

देश भर में कोयले की धुलाई रेलवे के जरिए होती है, लेकिन कोच की कमी और माल गाड़ियों को मिलने वाले कम ट्रैफिक से सप्लाई में देरी हो रही है। हालंकि रेलवे ने अपने सफाई में कहा है कि 2021 अप्रैल के मुकाबले उसने 11.1 करोड़ टन अधिक कोयला ढोया है और कोचों की सांख्य भी 380 से 415 की है।

4. आयत का प्रभावित होना

भारत कोयले से बिजली बनाने वाला दूसरा सबसे बडा देश है। इसके लिए वह इंडोनेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया से भी कोयला आयात करता है। लेकिन कुछ समय से सरकार ने आयात में कमी करने का फ़ैसला लिया और धीरे धीरे कमी भी की है।

5. कोयले का महंगा होना भी है बड़ा कारण

रूस और युक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण विदेशी बजारों में कोयले की कीमत 400 डॉलर (लगभग 3000 हजार रुपए) प्रति टन तक हो गई है। ऐसे में 20 करोड़ टन कोयला महंगे दामों पर आयत करना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है।

6. राज्यों पर बकाया और फ्री बिजली पॉलिसी भी है बड़ी वजह

एक ओर जहां बिजली का उत्पादन महंगा होता जा रहा है वहीं कई ऐसे राज्य है जो बिजली आपूर्ती कंपनियों से बकाया लेकर फ्री बिजली दे रही है। दैनिक भास्कर के एक रिर्पोट के अनुसार महाराष्ट्र के पास 2608.7 करोड़, पश्चिम बंगाल के पास 1060.4 करोड़, झारखंड के पास 1018.22 करोड़, तमिलनाडु के पास 823.5 करोड़, मध्यप्रदेश के पास 531.42 और दिल्ली के पास 78 (2019 के रिर्पोट के अनुसार) हज़ार करोड़ बिजली कंपनियों के बकाया है।

7. कोयले पर पूर्ण निर्भारता भी है वजह

वहीं देश का कोयले पर इतनी बड़ी निर्भरता भी बिजली संकट की बड़ी वजह है। भारत में आज भी 70 फीसदी से अधीक बिजली कोयले से बनाई जाती है। इसका विकल्प भी देश ने बेहतर तरीके से विकसित नहीं किया है। हालांकि सरकार काफ़ी तेज़ी से सोलर और अन्य विकल्पों की ओर बढ़ रहीं है।

मध्यप्रदेश में क्या हैं हालात

मध्य प्रदेश में पारा जहां 45 डेग्री सेंटीग्रेट छूने को है वहीं राज्य में बिजली संकट लोगों को डराने लगी है। मध्यप्रदेष में फिलहाल 12 हज़ार मेगावाट की जगह 10 हज़ार मेगावाट बिजली ही उपलब्ध हो पा रही है। इसलिए, राज्य के ग्रामीण इलाकोंसहित कुछ शहरी क्षेत्रों में अभी भी अघोषित बिजली कटौती शुरु कर दिया गया है। वहीं बिजली कटौती पर सियासत भी शुरु हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे कांग्रेस सरकार में बिजली कटौती नहीं होती थी लेकीन बीजेपी के शासनकाल में यहां के लोग भारी बिजली संकट से जूझ रहे हैं।हालांकि सरकार ने इसके कई जवाब दिए है और बिजली संकट वजह भी बताई है।

एमपी में कितनी बड़ी है बिजली संकट और क्या है वजह

1. सिंचाई के साधन बढने से बिजली की खपत ग्रामीण इलाकों में भी काफ़ी बढ़ गई है।

2. पिछले साल की तुलना में मांग अचानक 2000 मेगावाट बढ़ गई जिसका अंदाजा बिजली कंपनियों को नही था।

3. कंपनियों का 531 कारोड़ रुपयों का बकाया भी हो सकता है एक बड़ा कारण

4. राज्य के कई बिजली प्लाटों में उत्पादन आपूर्ती से आधी है।

5. कोयले की कमी
मधयप्रदेश में जहां 14 रैक कोयले की माग की जा रही है वहीं आपूर्ती इससे लगभग 25% कम यानि 10 रैक किया जा रहा है।

हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय के पिछले हफ्ते एक ट्वीट से पता चलता है की सरकार इस समस्या पर काफ़ी गम्भीर है और और इसके जो भी उपाय है उन पर काम कर रही है।

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