समान नागरिक कानून पर ओवैसी का बड़ा बयान, संयुक्त हिन्दू परिवार भी बोले बड़ी बात
ओवैसी ने कहा, देश का एक बड़ा हिस्सा बिजली संकट से जूझ रहा है लेकीन सरकार को समान नागरिक संहिता लागू कराने की जल्दी है।
ADITYA MISHRA:
देश भर में जहां समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर सरकार के समर्थन में लोग खड़े हैं। वहीं एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि देश को यूनिफॉर्म सिविल कोड की कोई जरुरत नहीं है। लॉ कमीशन का हवाला देते हुए उन्होनें कहा, लॉ कमीशन भी मानता है, इसकी कोई जरुरत नहीं है।
और क्या क्या बोले ओवैसी ?
ओवैसी यहीं नहीं रुके, बोलते बोलते वो काफ़ी कुछ बोल गए।
० उन्होंने कहा, गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। लेकिन यदि किसी औरत को 25 से 30 वर्ष की उम्र तक लड़का नहीं होता है, तो उसका पति दूसरी शादी कर सकता है। यह कैसी छूट है?
० बीजेपी को शाम में ठंडा होने के लिए शराब चाहिए
संविधान के अनुच्छेद 45 में शराबबंदी की बात की गई है। पूरे देश भर में भाजपा शराबबंदी क्यों नहीं करती? वह इसलिए क्योंकि शाम में इनको खुद शराब पीकर ठंडा होना होता है।
#WATCH | It (Uniform Civil Code) is not required in this country. As per Goa civil code, Hindu men have the right of 2nd marriage if wife fails to deliver a male child by the age of 30. Law Commission has opined that a UCC is not required: AIMIM chief Asaduddin Owaisi (30.04) pic.twitter.com/tCm0RwLOwX
— ANI (@ANI) April 30, 2022
०समान आय पर सरकार चुप
वैसे ने कहा कि आर्टिकल 38 में समान आय (Income Equality) की बात की गई है लेकिन देश का 90% आय 10 से 15% पूंजीपतियों के हाथ में है।
सबसे बड़ी बात जो ओवैसी ने कही
संयुक्त हिंदू परिवार में के लिए सरकार टैक्स में छूट देती है। लेकिन मुसलमानों और ईसाइयों को यह छुट नहीं मिलता।
क्या यहां पर समानता के अधिकार का हनन नहीं होता?
नॉर्थ ईस्ट के परंपरा और संस्कृति का क्या होगा?
मेघालय, मिजोरम और नगालैंड के लोगों से संविधान में वादा किया गया है कि उनके परंपरा की रक्षा संविधान करेगा। लेकिन क्या समान नागरिक कानून के बाद उनके परंपराओं का रक्षा हो पाएगी?
सरकार बिजली संकट पर ध्यान दे, समान नागरिक कानून में लोगों को ना उलझाए
ओवैसी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि महंगाई बढ़ रही है, बेरोजगारी बढ़ रहा है, देश भर के आधे से अधिक राज्य में बिजली संकट है। लेकिन सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड की पड़ी है। जबकि लॉ कमीशन कह चुका है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं है।
गौरतलब हो की केंद्र सरकार और भाजपा शासित कई राज्य सरकारों ने समान नागरिक संहिता लागू कराने की पेशकश की है। इसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने चुनाओ के पहले ही घोषणा कर दी थी। वहीं उत्तरप्रदेश और असम के मुख्यमंत्रियों ने भी इसकी वकालत करते रहें हैं। लेकिन, कांग्रेस और ओवैसी हमेशा इसका कड़ा विरोध करते रहें हैं।
साभार: ANI (Twitter)