झकझोर देगी “द काश्मीर फाइल्स”
70 हजार से अधिक पलायन और घाटी में नरसंहार की कहानी बताती है फिल्म द काश्मीर फाइल्स
Aditya Mishra:
“द कश्मीर फाइल्स” सत्य घटना पर आधारित एक मल्टी स्टार फिल्म है जिसका निर्देशन नेशनल अवॉर्ड विजेता निर्देशक विवेक अग्निहोत्री Vivek Agnihotri) ने किया है। इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार और अतुल श्रीवास्तव जैसे दिग्गज अभिनेता अहम किरदारों में हैं।

यह फिल्म 11 मार्च को रिलीज हुई है। दर्शकों ने इस फ़िल्म को 5 में 5 स्टार देकर अपनी भावनाओं को प्रकट किया है। इस फिल्म को Koimoi और Rediffimail ने 5 में 4 स्टार दिए है, वहीं इस फ़िल्म की IMDB रेटिंग 10/10 है।
The Kashmir Files: Woman has a massive meltdown after watching Vivek Agnihotri's film – watch
#TheKashmirFiles #VivekAgnihotri
https://t.co/0F7A3V2l7q— Bollywood Life (@bollywood_life) March 11, 2022
क्यों है यह फ़िल्म बेहद ही खास
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है। एक समय था जब कश्मीर में हिन्दू की एक बड़ी आबादी थी। लेकिन वहां के मुस्लिम और आतंकवादियों ने मिलकर धीरे धीरे उनके साथ अपराध और हत्याएं करने लगे, इस नरसंहार से पीड़ित वहां से अपना घरबार छोड़ कर देश के दुसरे हिस्से में बसे कश्मीरी पंडितों के दर्द को परिभाषित कर रही है यह फिल्म।
आंकड़े बताते हैं कि साल 1990 में घाटी के भीतर 75 हज़ार से अधिक कश्मीरी पंडित परिवार थे। लेकिन साल 1990 और 1992 के बीच आतंकियों के सहयोग से वहां की एक विषेश आबादी के डर से 70 हजार से ज्यादा परिवारों ने घाटी को छोड़ दिया। साल 1990 से 2011 के बीच आतंकियों ने 400 कश्मीरी पंडितों की हत्या (400 kashmiri pandits killed) की है। पिछले 30 वर्षों के दौरान घाटी में 800 से कम हिंदू परिवार (only 800 hindu families are left) ही बचे हैं। साल 1941 में कश्मीरी हिंदुओं का आबादी में हिस्सा 15 फीसदी था। लेकिन साल 1991 तक उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 0.1 फीसदी ही रह गई। अपनी मातृभूमि और कर्मभूमि से विस्थापित होने के कश्मीरी पंडितों के इस दर्द को व्यापक रिसर्च के बाद सिल्वर स्क्रीन पर पेश किया जा रहा है।
अनुपम खेर (Anupan Kher) और मिथुन चक्रवर्ती Mithun Chakraborty) जैसे कलाकारों से सजी फिल्म की रिलीज से पहले जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, फिल्म जब खत्म हुई, तो वहां मौजूद कई दर्शक इतने भावुक हो गए कि अपनी सीटों पर खड़े होकर रोने लगे। पूरे थियेटर में जो माहौल बना, उसे देखकर समझा जा सकता था कि फिल्म में कश्मीरी पंडितों के दर्द को किस तरह पेश किया गया है। फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री का भी कहना है कि साल 1990 में हुआ कश्मीरी नरसंहार (Kashmiri Genocide) भारत का एक अहम राजनीतिक और संवेदनशील मुद्दा है। इसलिए इसपर फिल्म बनाना काफ़ी बड़े टास्क का काम था। उन्होंने कहा इस फ़िल्म के लिए हमारी टीम ने काफ़ी व्यापक शोध किया है। 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों के परिवारों से बातचीत की गई है जिन्होंने सीधे तौर पर कश्मीर की इस हिंसा को झेला। उन्हें विस्थापित होना पड़ा। वो आज भी उसी टीस के साथ जी रहे हैं।
फ़िल्म समीक्षकों ने क्या कहा, कितने रेटिंग दिए
फिल्म ‘#The_Kashmir_Files’ को 5 में से 4.5 स्टार देते हुए समीक्षक रोहित जयसवाल (Film। Critic, Rohit Jaiswal) ने लिखा “मेरे लिए द कश्मीर फाइल्स मेरे पूरे जीवन में अब तक की सबसे कठिन फिल्म रही है। इसे देखने के लिए साहस की जरूरत है। यदि दर्शक हिम्मत कर सकते हैं, तभी इस फिल्म को देखने जाएं। विवेक रंजन अग्निहोत्री ने अपने करियर की सबसे बेहतरीन फिल्म बनाई है।”
नीति सुधा (Neeti Sudha) ने 5 में से 3 स्टार दिया। नीति ने लिखा “फिल्म को कश्मीर की खूबसूरत घाटियों के उस काले इतिहास को बड़े पर्दे पर देखना बेहद मार्मिक और दर्दनाक है। लेकिन महत्वपूर्ण भी है। विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ तथ्यों पर आधारित है। राजनीतिक झुकाव से अलग होकर देंखे, तो इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए क्रूर अत्याचारों को देखना, मानवता और न्याय व्यवस्था को घुटने टेकते देखना दिल दहलाने वाला है। 2 घंटे 40 मिनट की फिल्म में धारा 370 से लेकर इतिहास और पौराणिक कथाओं पर भी बात होती है।”
फिल्म समीक्षक सुमित कडेल ने इस फ़िल्म को “स्वतंत्र भारत का सबसे क्रूर अध्याय बताया, उन्होने कहा इसमें असंशोधित तथ्यों (Unfilterd facts) के साथ प्रकट हुआ कश्मीरी पंडितों का जनसंहार। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी इस फिल्म को कश्मीरी पंडितों के विस्थापन (पलायन) का सच जानने के लिए जरूर देखना चाहिए। इस सच को अतीत के पन्नों में दफन कर दिया गया था।”
राहुल रौशन लिखते हैं, “कल ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म देखी। मुझे अब समझ में आ रहा है कि विवेक ने इंटरव्यू के दौरान मुझसे हैदर से इसे तुलना करने से मना क्यों किया था। दोनों में कई सारी समानताएं हैं, लेकिन इसके बावजूद दोनों फिल्मों को स्वतंत्र प्रभाव है, जिसे देखने के बाद ही समझा जा सकता है।”
https://fb.watch/bHmaaZDeFU
इस फ़िल्म को कई सोशल मीडिया यूजर्स ने पुरे भारत में टैक्स फ्री कराने की मांग की है।
पत्रकार रिचा अनिरूद्ध तो लिखती है कि फिल्म ने उनको पूरी तरह झकझोर दिया है.
विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्मित एक और फिल्म भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जिंदगी और रहस्यमयी मौत पर प्रकाश डालती ‘द ताशकंद फाइल्स’ साल 2019 में रिलीज हुई थी। इस फ़िल्म को देखने के बाद दर्शकों के मन में कई सवाल उठे थे जैसे The Kashmir Files” को देखा कर उठ रहे हैं।
https://twitter.com/taran_adarsh/status/1502175803156533249?t=NBNO2la4H61BA3OPlXbM3w&s=08कितने देशों में रिलीज हुईं है यह फिल्म