विशेष लेख
हम बचपन से पढ़ते आए हैं दिल्ली भारत की राजधानी है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पहले भारत की राजधानी क्या थी?
भारत के बडे़ बड़े नेता, मंत्र, सरकार के अधिकारी और उनके परिवार कहां रहते थे?
भारत की राजधानी दिल्ली की जो भव्यता आज जो दिख रही है आप जानते हैं, उसके पीछे कौन कौन लोग, उनके निर्णय, और उनकी मेहनत थी इस खूबसूरत दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने में?
कितना समय लगा दिल्ली जैसे शहर को बसाकर भारत की राजधानी बनाने में?
इन सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे हमारे आज के इस विषेश लेख में, तो आइए जानते हैं दिल्ली के भारत की राजधानी बनने की कहानी।
साल 1931 में आज यानी 13 फरवरी को नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी। भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने औपचारिक रूप से यह कार्य सम्पन्न किया था। #AmritMahotsav pic.twitter.com/g3BGCGMAxd
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) February 13, 2022
दिल्ली के निर्माण का इतिहास
दिसंबर 1911 तक ब्रिटिश राज के दौरान भारत की राजधानी अब की कोलकाता (कलकत्ता) थी। उसके पहले दिल्ली, प्राचीन भारत और दिल्ली सल्तनत के कई साम्राज्यों के राजनीतिक और वित्तीय केंद्र के रूप 1694 से 1857 के दौरान रह चुकी थी।
ब्रिटिश भारत सरकार ने महसूस किया की उत्तरी भारत के केंद्र में, दिल्ली से भारत का प्रशासन करना आसान होगा इसलिए
सन् 1900 की शुरुआत के दौरान, ब्रिटिश प्रशासन को भारतीय साम्राज्य की राजधानी पूर्व तट के कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का प्रस्ताव सौपा गया और नए राजधानी के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का काम “भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894″ के अंतर्गत की गई।
दिल्ली दरबार के दौरान निर्णय
12 दिसंबर 1911 को, दिल्ली दरबार के दौरान, कोरोनेशन पार्क, किंग्सवे कैम्प जिसे अभी अब गुरूतेग बहादुर नगर के रूप में जाना जाता है, वाइसरॉय के निवास के लिए नींव रखते हुए, भारत के तात्कालीन सम्राट, जाॅर्ज पंचम तथा उनकी रानी मैरी द्वारा घोषणा की गई कि शासन की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली में स्थानांतरित किया जाएगा।
Lutians Delhi लुटियंस दिल्ली की कहानी
15 दिसंबर 1911 को किंगवेज़ कैम्प में अपनी शाही यात्रा के दौरान, जाॅर्ज पंचम (George – V) और रानी मैरी (QUEEN MARRY) ने 1911 के दिल्ली दरबार पर नई दिल्ली की नींव रखी।
नई दिल्ली के बड़े हिस्सों के निर्माण की योजना एड्विन लुटियंस (Adwin Lutians) जिन्होंने पहली बार 1912 में दिल्ली का दौरा किया था तथा हर्बर्ट बेकर ने की थी। दोनों 20 वीं सदी के ब्रिटिश वास्तुकारों के प्रमुख ( Chief of British Architect) थे। निर्माण का अनुबंध सोभा सिंह को दिया गया।
निर्माण कार्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ और 1931 में पूर्ण हुआ। शहर का नाम बदलकर ” लुटियंस दिल्ली” (Lutians Delhi) कर दिया गया, जिसका उद्घाटन 10 फरवरी 1931 को, तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन (Lord Irwin) द्वारा किया गया। एड्विन लुटियंस ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को आधारभूत मानकर शहर के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्रों का निर्माण किया था, जो आज भी इसी नाम से प्रसिद्ध है और आज भी यहां भारत सरकार के गणमान्य और सरकारों के बड़े लोगों के आवास है।
बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है।
आदित्य मिश्रा